आरबीआई पांच साल में पहली बार रेपो दर में कटौती कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि 7 फरवरी को होने वाली घोषणा में केंद्रीय बैंक इसका फैसला कर सकता है। दो वर्षों से रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह जस की तस है। प्रमुख नीतिगत दर में आखिरी बार कटौती मई, 2020 में की गई थी।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 5-7 फरवरी तक होगी। विश्लेषकों का मानना है कि उपभोग आधारित मांग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो दर को घटाने का फैसला कर सकता है। हालांकि रुपये में गिरावट चिंता बनी हुई है। रुपया 87 के नीचे आ गया है। खुदरा महंगाई पिछले वर्ष अधिकांश समय आरबीआई के 6 फीसदी के लक्ष्य के भीतर बनी हुई है। ऐसे में सुस्त खपत से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में कटौती हो सकती है।