नर्मदा जयंती माघ शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है। नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है, जो 1312 किमी बहकर अरब सागर में मिलती है। इंदौर, उज्जैन, देवास की जलापूर्ति व खेती को इसका जल लाभ देता है। धार्मिक, औद्योगिक और सिंचाई में अहम भूमिका निभाने वाली यह नदी चार राज्यों को फायदा पहुंचाती है।

आज नर्मदा जयंती है। माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है। मप्र के विकास में अहम योगदान इस नदी का माना जाता है। प्रदेश की जीवनदायनी नर्मदा नदी तीन हजार किलोमीटर लंबाई में बहती है और हरियाली के साथ आसपास के क्षेत्रों की समृद्धि और विकास की फैलाती है। नर्मदा नदी इंदौर, जबलपुर, भोपाल सहित कई शहरों और गांवों की प्यास बुझा रही है।
नर्मदा मप्र में 1077 किलोमीटर, महाराष्ट्र में 32 किलोमीटर, महाराष्ट्र-गुजरात में 42 किलोमीटर एवं गुजरात में 161 किलोमीटर प्रवाहित होकर कुल 1312 किलोमीटर पश्चात् अंतत: गुजरात में भडूच के निकट खंभात की खाड़ी के अरब सागर में समाहित होती है। मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनदायिनी नर्मदा का उद्गम स्थल अनूपपुर जिले के अमरकंटक में है। इस नदी पर गांधी सागर, ओंकारेश्वर बांध, सरदार सरोवर जैसे बड़े बांध इस नदी पर बने हैं।